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नागपुर का ये शख्स हर रोज 190 आवारा कुत्तों को खिलाते हैं चिकन बिरयानी, 11 सालों से कर रहे सेवा

देश में कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। इस वायरस के चलते कई राज्यों में लॉकडाउन लागू है। वहीं पिछले एक साल से कोविड-19 के कारण कई लोग बेरोजगार हो गए हैं। उन्हें एक समय का भोजन नहीं मिल पा रहे हैं। वह खाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वहीं नागपुर के रहने वाले रंजीत नाथ हर रोज सड़क पर मौजूद लगभग 190 आवारा कुत्तों को खाना खिलाने का नेक काम कर रहे है। लोग प्यार से उन्हें रंजीत दादा भी कहते हैं।

कुत्तों को बिरयानी खिलाते रंजीत नाथ (साभार: ANI)

हर रोज 35 से 40 किलो बिरयानी पकाते हैं

रंजीत नाथ (Ranjeet Nath) कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद से प्रतिदिन लगभग 40 किलोग्राम चिकन बिरयानी पका रहे हैं। वह करीब 190 कुत्तों को खाना खिलाते हैं। न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए नाथ ने बताया कि मैं बुधवार, रविवार और शुक्रवार को व्यस्त रहता हूं। मैं इन कुत्तों के लिए 30-40 किलोग्राम बिरयानी तैयार करता हूं। वे अब मेरे बच्चों की तरह हैं। मैं जिंदा रहने तक यह काम करूंगा। यह मुझे खुशी देता है। रंजीत ने कहा कि उनके दिन की शुरुआत बिरयानी की तैयारी से होती है। वह इसे दोपहर से पकाना शुरू कर देता है और रोजाना शाम 5 बजे अपनी बाइक पर आवारा कुत्तों को खिलाने के लिए शहर का चक्कर लगाते हैं।

वो मेरे बच्चे जैसे हैं- रंजीत

रंजीत नाथ नागपुर में पिछले 11 साल से इन कुत्तों की सेवा कर रहे हैं और वह उन्हें अपना ‘बच्चा’ मानते हैं। उनकी कहानी अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। 58 साल के रंजीत नाथ पेशे से ज्योतिषी हैं। उन्होंने कहा कि वह कई वर्षों से यह काम कर रहे हैं। वह आवारा जानवरों को बच्चे बोलते हैं। उन्हें यह पसंद नहीं है कि कोई उन्हें कुत्ता कहे।

रंजीत नाथ के दिन की शुरुआत बिरयानी की तैयारी से होती है। वह इसे दोपहर से पकाना शुरू कर देते हैं और रोजाना शाम 5 बजे अपनी बाइक पर एक बड़ा सा बर्तन लेकर आवारा कुत्तों को खिलाने के लिए शहर का चक्कर लगाते हैं। नाथ बताते हैं, “मेरे पास 10-12 निश्चित स्थान (लोकेशन) हैं और मेरे ‘बच्चे’ उन जगहों के बारे जानते हैं। जैसे ही वे मुझे देखते हैं, वे मेरी ओर दौड़ने लगते हैं। मैं भेदभाव नहीं करता। मैं बिल्लियों को भी खिलाता हूँ।”

अब लोग कर रहे हैं डोनेट

रंजीत नाथ आगे बताते हैं,’चिकन बिरयानी में मांस कम और हड्डियां ज्यादा होती हैं। मुझे चिकन का हड्डी वाला हिस्सा सस्ते दाम पर मिल जाता है जिससे मुझे ज्यादा कुत्तों को खिलाने में मदद मिलती है। पिछले महीने तक ज्यादातर खर्च मेरी जेब से होता था।’ पिछले कुछ दिनों से रंजीत दास को अब लोगों से डोनेशन भी मिल रहा है, हालांकि यह जानवरों को खिलाने के लिए पर्याप्त नहीं है।

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Mukesh Kumar
Mukesh Kumarhttps://www.rochakgyan.co.in/
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