Actual Price Of Drinking Water Bottle : आमतौर पर जब हम घर से बाहर जाते हैं तो प्यास लगती है और हम दुकान से बोतलबंद पानी खरीदते हैं। भारत में पिछले 20-30 सालों से बोतलबंद पानी की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। लोगों को लगता है कि यह पानी शुद्ध होता है, लेकिन क्या ऐसा सचमुच है…? आमतौर पर बाजार में 20 रुपये में 1 लीटर पानी मिलता है। अब सवाल यह उठता है कि क्या वाकई उस पानी की बोतल की कीमत 20 रुपये होती है और क्या यह उतना ही शुद्ध होता है जितना हम सोचते हैं? इस लेख में हम आपको बताएंगे कि जिस बोतल को आप 20 रुपये में खरीदते हैं, उसकी असली लागत क्या होती है और यह कितना शुद्ध होता है।
बाजार में कई प्रकार के बोतलबंद या प्रोसेस्ड पानी मिलते हैं, जिन्हें तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
प्यूरिफाइड पानी:
यह नल का पानी होता है, जिसे कई प्रक्रियाओं से शुद्ध किया जाता है। इसमें कार्बन फिल्ट्रेशन और रिवर्स ऑस्मोसिस जैसी तकनीकें शामिल होती हैं। हालांकि, इस प्रक्रिया में अधिकांश मिनरल्स निकल जाते हैं।
डिस्टिल्ड पानी:
इस प्रकार के पानी में भी अधिकांश मिनरल्स निकल जाते हैं। यह छोटे उपकरणों में इस्तेमाल के लिए अच्छा माना जाता है।
स्प्रिंग वॉटर:
किसी भी प्रकार का पानी, चाहे वह ट्रीटेड हो या न हो, स्प्रिंग वॉटर श्रेणी में आता है। नेचुरल रिसोर्स डिफेंस कॉउंसिल के अनुसार, इसमें मिनरल्स की कमी और कई सामान्य समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि, प्यूरिफाइड और डिस्टिल्ड पानी को सुनकर हम यह मान सकते हैं कि ये पानी सबसे स्वास्थ्यवर्धक और शुद्ध होता है, लेकिन ऐसा हमेशा सत्य नहीं होता है।
नल के पानी से कई गुना महंगा होता है बोतलबंद पानी
पानी की बोतल को सुरक्षित मानने की वजह यह है कि इसके लिए हम कीमत चुकाते हैं। बोतलबंद पानी की मांग देश में लगातार बढ़ रही है, लेकिन साथ ही मिलावट भी बढ़ रही है। हम बोतलबंद पानी के लिए बहुत अधिक कीमत चुका रहे हैं जबकि हमें नल से प्राप्त होने वाला पानी मुफ्त मिल जाता है। विभिन्न पानी के ब्रांड की कीमतें अलग-अलग होती हैं, हालांकि आमतौर पर देश में एक लीटर बोतलबंद पानी की कीमत लगभग 20 रुपये होती है। यह नल से प्राप्त होने वाले पानी से लगभग 10,000 गुना महंगा होता है।
एक बोतल की लागत
₹20 के जो बोतल हम खरीदते हैं, उसके निर्माण के लिए सबसे पहले कंपनियों को प्लास्टिक की 1 लीटर की बोतल 80 पैसे की पड़ती है। 1 लीटर पानी की लागत 1 रुपये 20 पैसे आती है। अगर हम पानी को प्यूरिफाई करने की बात करें, तो पानी को प्यूरिफाई करने में बस 3 रुपये 40 पैसे का खर्च होता है। यदि हम एक्स्ट्रा कहीं पहुंचाने या कहीं से लाने का खर्च जोड़ें, तो उसमें एक रुपया भी शामिल कर लेते हैं, तो पानी की 1 बोतल में कुल 6 रुपया 40 पैसे का खर्च आता है, जो हमारे पास आते-आते ₹20 से भी ज्यादा महंगी कीमत में बिक जाती है।
कितना सुरक्षित है बोतल का पानी
पर्यावरण पर शोध करने वाली बहुत सारी संस्थाएं मानती हैं कि पानी के महंगे ब्रांड को खरीदना पानी की शुद्धता से संबंधित नहीं होता है। वास्तव में, प्लास्टिक की बोतल पानी की शुद्धता से संबंधित होती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार ने कुछ साल पहले एक सर्वे के दौरान बताया था कि साल 2014-15 में भारत सरकार ने बोतलबंद पानी की गुणवत्ता की जांच की थी, और उसमें से आधे से ज्यादा की प्रामाणिकता कमजोर थी।
भारत में हैं 5000 से अधिक है निर्माता
पिछले दो-तीन दशकों में भारत में बोतलबंद पानी की मांग तेजी से बढ़ी है। अब हर जगह लोग होटलों और यात्रियों में इसे अधिक पी रहे हैं। पश्चिमी देशों में बोतलबंद पानी की शुरुआत 19वीं सदी में हुई, हालांकि भारत में यह 70 के दशक में आया और टूरिज्म के साथ-साथ बढ़ता रहा है। यूरोमॉनिटर के अनुसार, भारत में आजकल 5,000 से अधिक निर्माताओं हैं, जिनके पास ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैंडर्ड लाइसेंस होता है।
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