Dr Shipra Dhar: यह अच्छी खबर है कि वाराणसी में एक डॉक्टर ऐसे सामाजिक समस्याओं के खिलाफ एक उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं और बेटियों को समानता देने के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन रहे हैं। उनके द्वारा किए जाने वाले कदम समाज में जागरूकता और बदलाव की दिशा में महत्वपूर्ण हैं।
डॉक्टरों को समाज में बड़ा महत्वपूर्ण दर्जा दिया जाता है, क्योंकि वे स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने में मदद करते हैं। लेकिन यह भी सच है कि कुछ डॉक्टर अधिक फीस वसूलने के लिए भी अपनी व्यक्तिगत लाभ की चिंता करते हैं, जिससे गरीब या आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को परेशानी होती है।
शिप्रा धर (Dr Shipra Dhar) जैसे डॉक्टर वो हीरोइन हैं जो मानवता के मौलिक मूल्यों को मानते हैं। उन्होंने बेटी के जन्म पर कोई फीस नहीं लेने का निर्णय लिया है, जिससे समाज में बेटियों के महत्व की प्रमोशन होती है और आर्थिक असामाजिक दबाव कम होता है। इसके माध्यम से, वे समाज में महिलाओं के हित में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने में मदद कर रही हैं।
बेटे और बेटियों के बीच किए जाने वाले इस भिन्नाभिन्न विवेक के खिलाफ लड़ना आवश्यक है और समाज को समझने की दिशा में प्रेरित करता है। बेटों और बेटियों को समान मानना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह समृद्धि और समाज की स्थिति के साथ-साथ महिलाओं के अधिकारों का प्रोत्साहन करता है।
समाज में इस प्रकार के सोच को बदलने में आप और मैं समर्थ हैं, और ऐसे मुद्दों पर जागरूकता फैलाने में मदद कर सकते हैं। शिक्षा, समाजिक संवाद, और उदाहरणों के माध्यम से हम सबको इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, ताकि हम सभी एक समरस, समान और समृद्ध समाज की ओर अग्रसर हो सकें।
आजकल हमारे समय में, महिलाएं पुरुषों के साथ हर काम कर रही हैं और इससे नजरिया बेटी के पैदा होने पर बदल रहा है। डॉक्टरों को भगवान के समान स्वीकार किया गया है, क्योंकि वे मौत के मुंह से जीवन को बचाते हैं। हम आपको एक ऐसी महिला डॉक्टर के बारे में बता रहे हैं जो डिलीवरी के दौरान एक भी पैसे नहीं लेती, खासकर जब एक परिवार को बेटी पैदा होती है। आज तक, उन्होंने सैकड़ों डिलीवरी को मुफ्त में की है। – डॉक्टर शिप्रा धर श्रीवास्तव (Dr Shipra Dhar Shrivastava)
उनके इस नेक काम की सराहना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं। पीएम मोदी जब वाराणसी गए थे तो उन्होंने डॉ शिप्रा धर से मुलाकात भी की थी। डॉक्टर शिप्रा धर ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से एबीबीएस और एमडी की पढ़ाई की है। उनके पति एम के श्रीवास्तव भी पेशेवर डॉक्टर हैं और वह अपनी पत्नी के नेक काम में पूरा सहयोग करते हैं। डॉक्टर शिप्रा धर वाराणसी के पहाड़ियां क्षेत्र में एक नर्सिंग होम चलाती हैं, जहां वह कन्या भ्रूण हत्या को रोकने और लड़कियों को बढ़ावा देने के लिए यह मुहिम चलाती हैं। उनका कहना है कि बेटियों को लेकर आज भी हमारे समाज में नकारात्मक सोच है, कई लोग तो बेटी के पैदा होने की खबर सुनकर रोने लगते हैं। मैं चाहती हूं लोगों की ये सोच बदले।
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