Interesting Facts About Golden Temple: पंजाब के अमृतसर शहर में स्थित स्वर्ण मंदिर यानि गोल्डन टेम्पल देश के सबसे प्रतिष्ठित और प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से है, जो अपने सुनहरे रंग और खूबसूरती के लिए जाना जाता है। इस गुरुद्वारे में रोजाना सैकड़ों श्रद्धालु माथा टेकने के लिए आते हैं और सुखी जीवन की कामना करते हैं, ऐसे में आज हम आपको गोल्डन टेम्पल से जुड़ी कुछ अहम और रोचक बातें बताने जा रहे हैं।
गुरु अर्जन ने बनवाया था गोल्डन टेम्पल
गोल्डन टेम्पल (Golden Temple) की नींव सन् 1581 में गुरु अर्जन द्वारा रखी गई थी, जिन्हें सिख धर्म के पांचवें गुरु के रूप में जाना जाता है। माना जाता है कि इस जगह पर गुरु नानक देव जी ध्यान किया करते थे, जिसके बाद गुरु अर्जन ने उनकी याद और सम्मान में गोल्डन टेम्पल बनाने का फैसला किया था।
इस गुरुद्वारे को तैयार होने में लगभग 8 साल लंबा वक्त लगा था, जिसका पूरा डिजाइन गुरु अर्जन द्वारा ही बनाया गया था। आपको बता दें कि गोल्डन टेम्पल का असल नाम श्री हरमंदिर साहिब है, जिसे बाद में स्वर्ण मंदिर यानि गोल्डन टेम्पल के नाम से जाना जाने लगा था।
महाराजा रणजीत सिंह ने करवाया था पुनर्निर्माण
ऐसा ही हमने आपको अभी बताया कि श्री हरिमंदिर साहिब गुरुद्वारा बनाने के लिए गोल्ड का इस्तेमाल नहीं किया गया था, लेकिन जब इस गुरुद्वारे का पुनर्निर्माण करवाया गया तो इसे 24 कैरेट शुद्ध सोने से सजाया गया था।
दरअसल सन् 1762 में इस्लामी शासकों ने भारत के धार्मिक स्थलों को नष्ट करना शुरू कर दिया था, जिसमें श्री हरिमंदिर साहिब का नाम भी शामिल था। ऐसे में मुगल शासकों के हमले की वजह से श्री हरिमंदिर साहिब को नष्ट कर दिया था, जिसके बाद सन् 1809 में सिख शासक महाराजा रणजीत सिंह ने गुरुद्वारे का पुनर्निर्माण करवाया था।
महाराजा रणजीत सिंह ने गुरुद्वारे को संगमरमर और तांबे की परत से सजा दिया दिया था, जबकि इसके गर्भगृह के ऊपर साल 1830 में सोने की परत चढ़ाई गई थी। इस तरह श्री हरिमंदिर साहिब को स्वर्ण मंदिर यानि गोल्डन टेम्पल का नाम दिया गया था, जिसके बाद बीतते समय के साथ गोल्डन टेम्पल (Golden Temple) के अलग अलग हिस्से पर सोने की परत चढ़ाई जाने लगी थी।
वर्तमान में गोल्डन टेम्पल (Golden Temple) पर 500 किलोग्राम के वजन से भी ज्यादा सोने की परत मौजूद है, जिसकी कीमत 140 करोड़ रुपए से भी अधिक है। कहा जाता है कि शुरुआत में गोल्डन टेम्पल के ऊपर 7 से 9 सोने की परतें चढ़ाई गई थी, लेकिन पुनर्निर्माण कार्य करते करते यह संख्या 24 परतों तक पहुंच गई थी।
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बाबा दीप सिंह हुए थे शहीद
गोल्डन टेम्पल (Golden Temple) से जुड़ा एक तथ्य यह भी है कि इस पवित्र स्थान पर बाबा दीप सिंह शहीद हुए थे, जिन्होंने सन् 1757 में 5 हजार सैनिकों के साथ मिलकर अफगान के आक्रमकारी जहान खान के खिलाफ युद्ध लड़ा था। बाबा दीप सिंह अपनी सेना के साथ अंतिम सांस तक युद्ध लड़ रहे थे और इसी युद्ध के दौरान गोल्डन टेम्पल के अंदर की उन्होंने शहादत को प्राप्त कर लिया था।
गोल्डन टेम्पल के चार द्वार
गोल्डन टेम्पल (Golden Temple) में कुल चार द्वार मौजूद हैं, जिनके नाम के पीछे कोई न कोई महत्व छिपा हुआ है। दरअसल गोल्डन टेम्पल की आधाराशिला की नींव प्रसिद्ध सूफी संत मियां मीर द्वारा रखी गई थी, जो सभी धर्मों को एख साथ जोड़ना चाहते थे। ऐसे में स्वर्ण मंदिर का हर एक द्वार हर धर्म का प्रतिनिधित्व करता है, जो अनेकता में एकता को प्रदर्शित करते हैं।
औषधिय गुणों से भरपूर तालाब
गोल्डन टेम्पल (Golden Temple) में एक तालाब भी मौजूद है, जिसे अमृत सरोवर के नाम से जाना जाता है। इस सरोवर का पानी औषधिय गुणों से भरपूर माना जाता है, जिसमें स्नान करने मात्र से ही इंसान को शारीरिक और त्वचा संबंधी रोगों से छुटकारा मनिल जाता है। इतना ही नहीं अमृत सरोवर में स्नान करने से व्यक्ति के पाप भी धुल जाते हैं, जिसकी वजह से इस सरोवर में सैकड़ों श्रद्धालु स्नान करते हैं।
दुनिया की सबसे बड़ी रसोई
गोल्डन टेम्पल (Golden Temple) में आने वाला कोई भी श्रद्धालु भूखे पेट नहीं लौटता है, क्योंकि इस गुरुद्वारे में दुनिया की सबसे बड़ी रसोई मौजूद है। गोल्डन टेम्पल में 24 घंटे लंगर सेवा चलती रहती है, जिसमें 50 हजार से ज्यादा लोग एक साथ बैठकर भोजन ग्रहण करते हैं। वहीं त्यौहार या किसी धार्मिक अवसर के दौरान यह संख्या 1 लाख का आंकड़ा भी पार कर जाती है।
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