Kana Ram Mewada Gives Free Plant in Exchange of Plastic: हम इंसान जितनी तेजी के साथ आधुनिक होते जा रहे हैं, उसी तेजी के साथ हमने पृथ्वी को कूड़ाघर में तब्दील करने का काम भी शुरू कर दिया है। यही वजह है कि सड़कों से लेकर नदी, तालाब और समुद्र में कूड़े का ढेर देखने को मिलता है, जिसमें प्लास्टिक वेस्ट की संख्या सबसे ज्यादा है।
प्लास्टिक वेस्ट की वजह से न सिर्फ गंदगी फैलती है, बल्कि यह इंसान व जानवरों के जीवन के लिए हानिकारक भी साबित होता है। वहीं प्लास्टिक को पूरी तरह से खत्म होने में 500 साल का लंबा वक्त लगता है, ऐसे में प्लास्टिक वेस्ट को खत्म करने के लिए एक चायवाले ने अनोखी पहल शुरू की है।
राजस्थान के काना राम मेवाड़ा
Kana Ram Mewada Gives Free Plant in Exchange of Plastic: राजस्थान के पाली जिले में स्थित बीसलपुर गांव में रहने वाले काना राम मेवाड़ा (Kana Ram Mewada From Rajasthan) एक छोटी सी चाय की दुकान चलाते हैं, लेकिन उनकी सोच कई पढ़े लिखे युवाओं से ज्यादा अच्छी और धरती के हित में है। काना राम मेवाड़ को प्राकृतिक चीजों से बहुत लगाव है, जिसकी वजह से वह पर्यावरण संरक्षक के रूप में काम करते हैं।
प्लास्टिक मुक्त गांव
ऐसे में पर्यावरण को सबसे ज्यादा हानि प्लास्टिक वेस्ट से पहुंचती है, जिसे खत्म करने के लिए राम मेवाड़ा ने एक खास मुहिम शुरू की है। राम मेवाड़ा बीसलपुर गांव को प्लास्टिक मुक्त बनाना चाहते हैं, लिहाजा इसके लिए वह पिछले डेढ़ सालों से लोगों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं।
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प्लास्टिक के बदले चीनी और पौधा फ्री
Kana Ram Mewada Gives Free Plant in Exchange of Plastic: वह अपनी चाय की दुकान में इको फ्रेंडली चीजों का इस्तेमाल करते हैं, जबकि गांव के लोगों से प्लास्टिक वेस्ट इकट्ठा करके उन्हें बदले में एक पौधा भेंट के रूप में देते हैं। राम मेवाड़ा ने अपनी दुकान पर एक विज्ञापन लगाया है, जिसमें लिखा है कि सिंगल यूज प्लास्टिक लाइए और एक पौधा मुफ्त पाइए।
ऐसे में बीसलपुर गांव के लोग प्लास्टिक वेस्ट को इधर उधर फेंकने के बजाय राम मेवाड़ा की दुकान पर दे जाते हैं और उनसे बदले में एक पौधा ले जाते हैं, जिससे गांव की हरियाली भी बढ़ रही है। इतना ही नहीं काना राम मेवाड़ा प्लास्टिक के बदले गांव के लोगों को चीनी, पेंसिल और ज्योमेट्री बॉक्स जैसी चीजें भी देते हैं, ताकि उनका गांव प्लास्टिक कूड़े से मुक्त हो सके।
कैसे हुई शुरुआत
काना राम मेवाड़ा की मुलाकात डेढ़ साल पहले दिलीप कुमार जैन से हुई थी, जो मुंबई में एक एनजीओ से जुड़े हुए थे और पर्यावरण को प्लास्टिक मुक्तब बनाने की मुहिम पर काम कर रहे थे। ऐसे में दिलीप कुमार से मिलने के बाद राम मेवाड़ा के मन में भी प्लास्टिक मुक्त गांव बनाने का ख्याल आया और उन्होंने इस समाज सेवा के काम को शुरू कर दिया।
लोग अब प्लास्टिक को इधर-उधर फेंकने के बजाय काना राम मेवाड़ को देने आते हैं। सिर्फ़ गांव वाले ही नहीं बल्कि गांव के पास जवई डैम घूमने आए पर्यटक भी ये काम करते हैं। इस काम की वजह से काना राम मेवाड़ को आसपास के क्षेत्र के लोग भी जानने लगे हैं।
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