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पुराने बाथटब से शुरू की मोती की खेती, आज लाखों का मुनाफा कमा रही हैं रंजना यादव

किसी भी काम मे कामयाबी पाना मुश्किल नहीं है, अगर इंसान की मेहनत और लगन सच्ची हो। भले ही इंसान के पास संसाधन कम हो, लेकिन अगर वह पूरे दिल से मेहनत करता है तो कामयाबी भी उसके कदम चुमती है।

ऐसा ही कुछ दिखाया है रंजना यादव नामक एक महिला ने, जिन्होंने बाथटब से मोती की खेती शुरू की थी। आज रंजना का बिजनेस बाथटब से बाहर निकल कर चुका है और वह सालाना अच्छी कमाई करती हैं, तो आइए विस्तार से जानते हैं रंजना के बारे में-

रंजना यादव की प्रेरणादायक कहानी

उत्तर प्रदेश के आगरा में रहने वाली 27 वर्षीय रंजना यादव आज मोती की खेती का व्यापार कर रही हैं, जबकि एक समय ऐसा था जब उन्हें इस बिजनेस के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। रंजना यादव ने फॉरेस्ट्री में एमएससी की डिग्री हासिल की थी, जिसके बाद वह खुद का बिजनेस शुरू करना चाहती थी।

रंजना ने 2 बच्चों की मां बनने बाद अपना बिजनेस शुरू करने का फैसला लिया, जिसके लिए उन्होंने मोती कि खेती का चुनाव किया। रंजना बचपन से ही जानना थी कि मोती की खेती कैसे होती है और सीप में मोती कैसे तैयार होता है, लिहाजा यह काम उन्हें आकर्षक लगने लगा।

बाथटब में की मोती की खेती शुरुआत

रंजना यादव अपने बिजनेस को लेकर बिल्कुल तैयार थी, लेकिन जब उन्होंने यह आइडिया अपने परिवार के साथ शेयर किया तो उनके परिवार ने इस काम के लिए साफ इंकार कर दिया। इसके बाद रंजना ने घर पर ही मोती की खेती करने का फैसला किया, ताकि उनका परिवार उनकी काबिलियत को पहचान सके।

इसके लिए रंजना ने साल 2018 में घर पर कबाड़ में पड़े एक पुराने बाथटब का इस्तेमाल किया, जिसके लिए वह बाजार से 20 सीप खरीद कर लाई। इस तरह रंजना ने 10 से 12 महीने तक कड़ी मेहतन करने के बाद बाथटब में मोती की सफलतापूर्वक खेती कर ली।

रंजना को हर सीप में दो मोती मिले थे, जिन्हें उन्होंने हैदराबाद के गहनों के बाजार में बेच दिया। रंजना को हर एक मोती के लिए 350 से 400 रुपए तक मिले थे, ऐसे में उन्होंने सिर्फ 20 सीप के जरिए पहली बार में ही 80 हजार रुपए की कमाई कर ली थी।

इसके बाद परिवार वालों को भी रंजना की काबिलियत पर यकीन हो गया और उन्होंने रंजना को बड़े पैमाने पर मोती की खेती करने की इजाजत दे दी। इसके बाद रंजना ने मोती की खेती करने के लिए भुवनेश्वर में स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवाटर एक्वाकल्चर से ट्रेनिंग ली, ताकि वह ज्यादा मुनाफा कमा सके।

पिता की पुश्तैनी जमीन में शुरू की खेती

भुवनेश्वर से मोती की खेती सीख लेने के बाद रंजना अपने पिता के घर गईं और उनकी इजाजत लेने के बाद पुश्तैनी जमीन में मोती की खेती शुरू कर दी। इस काम के लिए रंजना सबसे पहले जमीन खुदवा कर एक तालाब बनवाया और अहमदाबाद से 2 हजार सीप की खरीदारी की।

इसके बाद उन्होंने 7 दिनों तक सीप को पानी में डुबो कर रखा, ताकि उनके अंदर अच्छी नमी आ जाए। फिर उन सीपों को तालाब में डालकर मोतियों की खेती शुरू कर दी, जो 10 से 12 महीने में तैयार हो जाते हैं। इसके बाद रंजना उन मोतियों को भारत के अलग अलग गहनों के बाजार में बेच देती हैं, उन्होंने अपने इस स्टार्टअप का नाम विधिवानी पर्ल फार्मिंग (Vidhivani Pearl Farming) रखा है।

रोजाना करनी पड़ती है तालाब की देखभाल

मोती की खेती से एक समय में ही अच्छा मुनाफा कमाया जाता है, लेकिन इस काम को करने के लिए बहुत ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ती है। पानी के तापमान की समय समय पर जांच करना, तालाब को साफ रखना और सीप के भोजन संबंधी बारिक से बारिक चीज का ख्याल रखना पड़ता है।

इसलिए रंजना यादव सीपों की खास देखभाल का ख्याल रखती हैं और उन्हें अपने बच्चों की तरह समझती हैं। वह रोजाना 3 से 4 घंटे तक तालाब के आसपास रहती हैं और पानी की सफाई व तापमान संबंधी चीजों की जांच करती हैं।

इतना ही नहीं रंजना समय समय पर पानी में दवाई आदि का भी छिड़काव करती हैं, ताकि पानी में बैक्टीरिया या किसी प्रकार के कीड़े आदि सीप को नुकसान न पहुंचाए। इसके साथ ही मौसम का अनुकूल रहना भी बहुत जरूरी है, क्योंकि बदलते मौसम की वजह से 90 प्रतिशत सीप खराब हो जाते हैं। इसलिए तालाब के पानी के तापमान को जांचते रहना बेहद जरूरी है, जिसके लिए रंजना रोजाना अपने ससुराल से मायके आती हैं और सीप की देखभाल करती हैं।

प्रशिक्षण भी देती हैं रंजना यादव

रंजना यादव मोती की खेती से जुड़ी ट्रेनिंग भी देती हैं, उन्होंने अब तक 16 कृषि छात्रों को इस काम को लेकर जानकारी दी है। इतना ही नहीं उन्होंने हाथरस जाकर 10 किसानों की मोती की खेती के लिए तालाब बनाने में भी मदद की है।

रंजना बताती है कि मीठे और खारे पानी में तैयार होने वाले मोतियों की क्वालिटी और डिजाइन आदि में फर्क होता है, इसलिए किसान अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी तरह के पानी में खेती कर सकते हैं।

मीठे पानी में उगने वाले मोती ज्यादा चमकदार और अलग डिजाइन वाले होते हैं, इसलिए बाजार में उनकी कीमत ज्यादा होती है। जबकि खारे पानी में उगने वाले मोती अमूमन गोल आकार के होते हैं, जिनकी कीमत थोड़ी कम होती है। अगर किसान के पास मीठे पानी की सुविधा है, तो वह ज्यादा कीमत वाले मोती उगाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

रंजना यादव अपने परिवार की पहली बिजनेस वुमन हैं, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में न सिर्फ मोती की खेती की बल्कि इस काम में कामयाबी भी हासिल की। रंजना यादव उन सैकड़ों महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं, जो अपने जीवन में कुछ बेहतर करना चाहती हैं।

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Shivani Bhandari
Shivani Bhandari
सपनों और हक़ीक़त को शब्दों से बयां करती है 'क़लम'!
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