Homeप्रेरणा10,000 का बिजली बिल सीधा हो गया ‘जीरो’, इस तकनीक को अपनाकर...

10,000 का बिजली बिल सीधा हो गया ‘जीरो’, इस तकनीक को अपनाकर किया ये कमाल..

ग्लोबल वर्मिंग और जलवायु परिवर्तन की वजह से धरती के पर्यावरण में दिन ब दिन बदलाव आता जा रहा है, ग्लेशियर पिघल रहे हैं और समुद्रों में कूड़े का ढेर इकट्ठा हो रहा है। धरती के बढ़ते तापमान की वजह से लोगों को गर्मी से राहत पाने के लिए एसी और कूलर जैसे बिजली से चलने वाले उपकरणों पर आश्रित रहना पड़ता है।

हालांकि बिजली से चलने वाली चीजों की वजह से मीटर का यूनिट भी बढ़ता है, जिसकी वजह से ग्राहक को बहुत ज्यादा बिल चुकाना पड़ता है। ऐसे में आप चाहे तो प्राकृतिक तरीके से न सिर्फ बिजली बना सकते हैं, बल्कि हर महीने आने वाले बिल को भी जीरो कर सकते हैं।

डॉक्टर दिलीप सिंह सोढ़ा की प्रेरणादायक कहानी

हर व्यक्ति संसाधनों का इस्तेमाल करना चाहता है, लेकिन उनमें से बहुत ही कम लोग होते हैं जिन्हें प्रकृति की चिंता भी होती है। ऐसे ही जिम्मेदार लोगों में से एक हैं डॉ. दिलीप सिंह सोढ़ा (Dr. Dilip Singh Sodha), जो गुजरात के अहमदाबाद शहर में रहते हैं।

37 वर्षीय दिलीप सिंह ने साल 2015 में कॉलेज की डिग्री हासिल करने के बाद UPSC की तैयार शुरू कर दी थी, लेकिन 2 साल तक मेहनत करने के बाद भी उन्हें सिविल सर्विस की परिक्षा में सफलता नहीं मिल पाई। हालांकि दिलीप ने अपनी असफलता से निराश होने के बजाय समाज और पर्यावरण के क्षेत्र में काम करना शुरू कर दिया।

उन्होंने अपनी डॉक्टरी की प्रैक्टिस की और साल 2019 में एक छोटा सा क्लीनिक खोल दिया, जिसके जरिए वह घर खर्च के लिए पैसा कमाने लगे थे। हालांकि इस दौरान दिलीप सिंह को एहसास हुआ कि उनका बिजली बिल काफी ज्यादा आता है, जिसे कम करने के लिए उन्होंने सोलर पैनल लगाने का फैसला किया।

thebetterindia

सोलर पैनर के जरिए शुरू की मुहिम

दिलीप सिंह सोढ़ा (Dilip Singh Sodha) ने पर्यावरण को बचाने की मुहिम की शुरुआत अपने घर पर सोलर पैनल (Solar Panel) लगाने से की थी, जिसके जरिए उनका बिजली का बिल बहुत कम हो गया। दिलीप ने गौर किया कि सर्दियों में बिजली का बिल कम आता है, जबकि गर्मियों में एसी और कूलर की वजह से बिल काफी ज्यादा आता था।

इस तरह गर्मी में वह हर महीने 1000 यूनिट बिजली की खपत करते थे, जो पर्यावरण के लिए भी काफी नुकसानदायक साबित होता है। ऐसे में उन्होंने घर की छत पर 5 किलोवाट वाला सोलर पैनल लगवा लिया, जिसकी वजह से उनका बिजली का बिल 10 हजार रुपए से सीधा नीचे गिरकर जीरो रुपए हो गया।

दिलीप के घर पर सोलर पैनल के जरिए तैयार होने वाली बिजली का इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी वजह से गर्मियों में एसी, कूलर, पंखा और फ्रिज जैसे इलेक्ट्रिक आइटम्स जलाने के बाद भी उनकी जेब पर कोई असर नहीं बढ़ता है। इतना ही नहीं सूर्य की रोशनी से प्राकृतिक रूप से तैयार होने वाली बिजली से पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं होता है।

thebetterindia

सोलर पैनल लगाने का खर्च और मीटर बदलवाना

घर की छत पर 5 किलोवाट का सोलर पैनल का खर्च लगभग 1 लाख 65 हजार रुपए आता है, जिसमें सरकार द्वारा सब्सिडी भी दी जाती है। इसके अलावा छत पर सोलर पैनल सेट करने के लिए 25 हजार रुपए की अतिरिक्त लागत आती है, तो इस तरह सोलर पैनल लगाने का कुल खर्च 1 लाख 90 हजार रुपए तक पहुंच जाता है।

हालांकि यह एक बार खर्च होने वाली कीमत है, एक बार घर पर सोलर पैनल लगने के बाद न तो बिजली का खर्च आता है और न ही सोलर पैनल को सालों तक बदलने की जरूरत पड़ती है। इस तरह महज तीन साल में ही सोलर पैनल लगवाने का खर्च बराबर हो जाता है।

घर पर सोलर पैनल लगाने के लिए बिजली सप्लाई करने वाली कंपनी से संपर्क करना होता है, जो घर के नॉर्मल मीटर को एक एडवांस मीटर से बदल देते हैं। इस मीटर को घर पर लगाने का फायदा यह होता है कि ग्राहक सोलर पैनल से तैयार होने वाली बिजली के साथ साथ बिजली विभाग से भी बिजली इस्तेमाल कर सकते हैं।

ऐसे में उस मीटर में यूनिट तभी बढ़ेंगे, जब आप बिजली विभाग की बिजली का इस्तेमाल करेंगे। अगर आप सोलर पैनल से तैयार होने वाली बिजली से अपनी जरूरत पूरी कर ले रहे हैं, तो उस मीटर में यूनिट की बढ़ोतरी नहीं होगी।

thebetterindia

पौधे लगाने से लेकर कूड़ा से खाद बनाने के काम

दिलीप सिंह सोढ़ा (Dr. Dilip Singh Sodha) सिर्फ सोलर पैनल के जरिए बिजली का इस्तेमाल करने तक नहीं रूके हैं, बल्कि वह प्रदूषण को दूर करने और पर्यावरण को हरा भरा करने की दिशा में भी लगातार काम कर रहे हैं। यही वजह है कि उन्होंने अपने घर के आसपास पौधे लगाने का अभियान शुरू किया है।

दिलीप सिंह उन पौधों की देखभाल खुद करते हैं और उन्हें नियमित रूप से खाद और पानी आदि डालते हैं। इतना ही नहीं दिलीप सिंह ने पौधों की सुरक्षा के लिए उन्होंने उनके आसपास एक ट्री गार्ड भी लगाया है, ताकि कोई पौधों को नुकसान न पहुंचाए।

हालांकि इसके बावजूद भी कई लोग उन ट्री गार्ड के अंदर कूड़ा डाल देते हैं, जिसे दिलीप सिंह हर रविवार को खुद साफ करते हैं और उसे खाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं। इस काम के लिए दिलीप सिंह ने अपने घर के बाहर एक बड़ा गड्ढा बनाया है, जिसमें वह घर के कीचन से निकलने वाले कूड़े को इकट्ठा करते हैं।

इसके बाद उस गड्ढे को कुछ समय के ढक देते हैं, जिसके बाद वह कूड़ा खाद में तब्दील हो जाता है। दिलीप इसी खाद को घर के आसपास लगाए पौधों पर डाल देते हैं, जिससे उन्हें बाजार से अतिरिक्त खाद खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती है और कूड़े का भी सही इस्तेमाल हो जाता है।

दिलीप सिंह के बनासकांठा में कुछ खेत भी है, जिसमें उन्होंने पेड़ पौधे बोए हैं। दिलीप ने उन पौधों की देखभाल का जिम्मा एक स्थानीय परिवार को दिया है, जिनकी सिंचाई ड्रिप इरिगेशन (Drip Irrigation) तकनीक के जरिए की जाती है। इस तकनीक में पानी का इस्तेमाल बहुत ही सीमित होता है, जिसकी वजह से पानी की बर्बादी को रोका जा सकता है।

thebetterindia

चलाते हैं साइकिल, कार फ्री डे को बढ़ावा

दिलीप सिंह ने पर्यावरण की जरूरत को इतनी गहराई से समझ लिया है कि उसकी झलक उनके लाइफ स्टाइल में भी देखने को मिलती है। दिलीप ने शहर को प्रदूषण मुक्त करने के लिए साइकिलिंग ग्रुप की शुरुआत की है, जिसे पैडल पावर के नाम से जाना जाता है। इस ग्रुप से फिलहाल 50 लोग जुड़े हैं, जो पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए हर हफ्ते सड़कों पर साइकिल चलाते हैं और लोगों को साइकिल का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

दिलीप सिंह कार हफ्ते में एक बार कार फ्री डे मनाते हैं, ताकि लोगों को कम से कम कार का इस्तेमाल करने का संदेश दिया जा सके। इस दिन पैडल पावर ग्रुप के सभी सदस्य साइकिल चलाते हैं और लोगों को प्रदूषण कम करने का संदेश देते हैं।

डॉक्टर दिलीप सिंह सोढ़ा (Dr. Dilip Singh Sodha) का मानना है कि हर तरह का बदलाव सिर्फ सरकारी योजनाओं के जरिए नहीं आता है, बल्कि उस बदलाव को लाने में आम इंसान का भी हाथ होता है। इसलिए अगर आप प्रदूषण मुक्त शहर चाहते हैं या बिजली का बिल कम करना चाहते हैं, तो आपको खुद आगे आकर काम करना होगा।

ऐसा करने से न सिर्फ सरकारी योजनाओं को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आपके जरिए कई लोगों को पर्यावरण से जुड़ने और उसे बचाने का संदेश भी मिलेगा। दिलीप सिंह सोढ़ा (Dr. Dilip Singh Sodha) खुद पेड़ पौधे लगाते हैं और लोगों को भी हरियाली फैलाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

thebetterindia

ये भी पढ़ें : पुराने बाथटब से शुरू की मोती की खेती, आज लाखों का मुनाफा कमा रही हैं रंजना यादव

Shivani Bhandari
Shivani Bhandari
सपनों और हक़ीक़त को शब्दों से बयां करती है 'क़लम'!
RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments