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30 साल में 3 लाख पौधे लगा चुका हैं ये बस कंडक्टर, ग्रीन हीरो के नाम से मशहूर

पिछले कई दशकों से इंसान अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर जंगलों की कटाई कर रहा है, जिसकी वजह से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या बढ़ रही है। हालांकि इसके बावजूद भी हम इंसान पेड़ों की कटाई रोकने के बजाय प्रकृति का दोहन कर रहे हैं।

ऐसे में तमिलनाडु के एक शख्स ने पर्यावरण को बचाने का जिम्मा अपने कंधों पर उठा रखा है, यह शख्स पेशे से एक कंडक्टर है लेकिन पूरे राज्य में उन्हें द ट्री मैन के नाम से जाना जाता है। तो आइए जानते हैं तमिलनाडु के रहने वाले ट्री मैन के बारे में।

ट्री मैन मारीमुत्थु योगनाथन

तमिलनाडु राज्य परिवहन में 70 नंबर की बस में कंडक्टर की नौकरी कर रहे मारीमुत्थु योगनाथन (Marimuthu Yoganathan) को द ट्री मैन के नाम से जाना जाता है, जो अपने पेशे से बिल्कुल विपरीत पर्यावरण को बचाने का सराहनीय काम कर रहे हैं। मारीमुत्थु योगनाथन (Marimuthu Yoganathan) पिछले तीन दशकों से पेड़ पौधे लगाने का काम कर रहे हैं, जिसकी वजह से राज्य में चारों तरफ हरियाली रहती है।

द ट्री मैन अब तक तमिलनाडु के 32 जिलों में तीन लाख से ज्यादा पेड़ पौधे लगा चुके हैं, जिसके लिए वह अपनी तनख्वाह में से पैसे खर्च करते हैं। मारीमुत्थु योगनाथन (Marimuthu Yoganathan) पेड़ पौधे खरीद कर उन्हें अलग अलग जिलों में जाकर लगाते हैं और फिर उनमें समय समय पर खाद व कीटनाशक आदि का छिड़काव करते हैं।

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वेतन का 40 प्रतिशत करते हैं खर्च

इतना ही नहीं एम योगनाथन (Marimuthu Yoganathan) अपनी मासिक सैलेरी का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा स्थानीय स्कूलों और कॉलेजों को डोनेट करते हैं, ताकि वहां पढ़ने वाले छात्रों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करके उन्हें पेड़ पौधे लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। एम योगनाथन का मानना है कि पेड़ पौधे गर्मी के मौसम छाया देने के साथ ठंडी हवा भी देते हैं, इसलिए उनकी सुरक्षा के लिए इंसान को जरूरी कदम उठाने चाहिए।

मारीमुत्थु योगनाथन (Marimuthu Yoganathan) एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जिन्हें अपने स्कूल के दिनों से ही पेड़ पौधों बहुत ज्यादा लगाव था। गर्मी के मौसम में वह पेड़ों की छाया में बैठ कर कविताएं लिखा करते थे, जिसकी वजह से उनका प्रकृति के प्रति प्रेम धीरे धीरे बढ़ता रहा।

मारीमुत्थु योगनाथन (Marimuthu Yoganathan) को पर्यावरण की रक्षा के लिए पहली लड़ाई साल 1987 में लड़ी थी, जब उन्होंने नीलगिरि में रहते हुए कोटागिरि के लकड़ी माफियाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। एम योगनाथन पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे थे, ताकि पर्यावरण को नष्ट होने से बचाया जा सके।

इतना ही नहीं योगनाथन हर हफ्ते सोमवार को अपनी छुट्टी वाले दिन स्थानीय स्कूलों और कॉलेजों में जाकर बच्चों को पर्यावरण व पेड़ पौधों संबंधी जानकारी देते हैं, जबकि अलग अलग संस्थानों के साथ मिलकर राज्य में पौधा रोपण कार्य को पूरा करते हैं। उनका कहना है कि वह बच्चों को जितना बार पेड़ लगाने की सीख देते हैं, उनका मन एक नया पेड़ लगाने के लिए तैयार हो जाता है।

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विद्यार्थियों के नाम पर रखते हैं पेड़ों के नाम

इस प्रकार मारीमुत्थु योगनाथन (Marimuthu Yoganathan) हर हफ्ते बच्चों को नए नए पेड़ पौधे लगाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, जब बच्चे पेड़ लगा देते हैं तो उसका नाम बच्चे का नाम पर रख दिया जाता है। ऐसा करने स बच्चे उस पेड़ से लगाव महसूस करते हैं और पूरे दिल से उसकी देखभाल करते हैं।

मारीमुत्थु योगनाथन (Marimuthu Yoganathan) अब तक 3,700 से ज्यादा स्कूलों में बच्चों को पौधा रोपण की जानकारी दे चुके हैं, जो एक बहुत ही सराहनीय कार्य है। हालांकि इसके बावजूद भी एम योगनाथन के खिलाफ वन विभाग ने पुलिस में शिकायत दर्ज की है, क्योंकि योगनाथन वन विभाग को सड़क किनारे लगाए गए पेड़ों को काटने नहीं देते हैं।

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मिल चुके हैं कई पुरस्कार और सम्मान

तमिलनाडु के अलग अलग जिलों में पेड़, पौधे और फूल लगाने वाले मारीमुत्थु योगनाथन (Marimuthu Yoganathan) प्रकृति को बचाने के लिए इतना अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें शाबाशी की जगह लोगों के तानों का सामना करना पड़ता है।

वह अपने मासिक वेतन में से 40 प्रतिशत पैसा पेड़ पौधों पर खर्च कर देते हैं, जिसकी वजह से वह आज तक अपना घर नहीं खरदी पाए हैं। एम योगनाथन अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ किराए के घर में रहते हैं, जिसे उन्हें समय समय पर रेंट एग्रीमेंट खत्म होने के बाद बदलना पड़ता है।

मारीमुत्थु योगनाथन (Marimuthu Yoganathan) को पेड़ पौधे लगाने के लिए राज्य सरकार द्वारा पर्यावरण योद्धा के नाम से सम्मानित किया जा चुका है, जबकि इस काम के लिए उन्हें अब तक 14 पुरस्कार भी मिल चुके हैं। हालांकि कई बार पैसों की कमी की वजह से योगनाथन इन पुस्कारों को लेने के लिए राज्य सरकार के समक्ष उपस्थित नहीं हो पाए।

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Shivani Bhandari
Shivani Bhandari
सपनों और हक़ीक़त को शब्दों से बयां करती है 'क़लम'!
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