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ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे अकेले खड़ा किया घना जंगल, 4 करोड़ पेड़ लगाकर बनाया अनोखा रिकॉर्ड

Forest Man Of India: इस दुनिया में प्रकृति से प्यार करने वाले लोगों की कोई कमी नहीं, जो ट्रिप पर जाना और हरे भरे जंगलों में सैर करना बहुत पसंद करते हैं। लेकिन उनमें से सिर्फ चंद लोग ही प्रकृति की देखभाल और बेहतरी के लिए काम करते हैं, जिसमें जादव मोलई पायेंग का नाम भी शामिल हैं।

जादव मोलई पायेंग को फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है, जिन्होंने ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे लगभग 1,360 एकड़ की खाली और बंजर जमीन पर हरा भरा जंगल खड़ा कर दिया है। उनके द्वारा बनाए गए इस जंगल में सैकड़ों जीव जंतु और पक्षी निवास करते हैं, जबकि इसकी वजह से पर्यावरण संरक्षण भी होता है।

फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया की कहानी

असम में स्थित जोरहट जिले के कोकिलामुख नामक छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाले जादव पायेंग को बचपन से ही प्रकृति और पेड़ पौधों से बहुत ज्यादा लगाव था, जिसकी वजह वह अक्सर अपना खाली समय खेतों और जंगलों में बिताते थे। लेकिन तब तक जादव ने ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे मौजूद खाली जमीन को जंगल में बदलने का फैसला नहीं किया था, हालांकि एक बाढ़ ने उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल कर रख दी थी।

दरअसल साल 1979 में असम में भयानक बाढ़ आई थी, जिसकी वजह से सैकड़ों की संख्या में मृत जानवर ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे पड़े थे। उस वक्त जादव की उम्र 16 साल थी, उन्होंने देखा कि बाढ़ और भूमि कटाव की वजह से ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे मौजूद सारी हरियाली खत्म हो गई है और वहां सिर्फ रेत मौजूद है।

उस रेत पर मरे हुए सैकड़ों सांप मौजूद थे, जबकि ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे रहने वाले जीव जंतुओं से उनका घर छिन चुका था। उस दृश्य को देखकर जादव का मन बहुत ज्यादा दुखी हुआ था, जिसके बाद उन्होंने ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे मौजूद खाली जमीन को एक बार फिर हरा भरा करने का मन बना लिया।

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गांव वालों ने नहीं की मदद

जब जादव ने ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे फिर से जंगल उगाने का सुझाव गांव वालों के सामने रखा, तो किसी ने उनका साथ नहीं दिया क्योंकि उन सभी को यह काम असंभव लगता था। लेकिन जादव अपने मन में ठान चुके थे कि वह जंगल खड़ा करके रहेंगे, लिहाजा उन्होंने न गांव वालों की मदद ली और न ही सरकार से किसी प्रकार की उम्मीद लगाई।

इस तरह जादव ने शुरुआत में रोज 20 पौधे लगाना शुरू कर दिया, जिनकी संख्या धीरे धीरे इतनी ज्यादा बढ़ गई कि आज उस 1,360 एकड़ की जमीन पर एक हरा भरा और घना जंगल मौजूद है। ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे जंगल होने की वजह से सैकड़ों जीव जंतु और पक्षी यहां निवास करते हैं, जबकि अपनी प्यास बुझाने के लिए रोजाना नदी तक जाते हैं।

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विश्व भर में हुई जादव की तारीफ

जादव पायेंग ने अपनी मेहनत से खाली जमीन को जंगल में तो तब्दील कर दिया था, लेकिन उन्हें इस काम के लिए कोई सराहना या तारीफ नहीं मिली थी। फिर साल 2009 में एक पत्रकार असम की माजुली द्वीप पर रिपोर्टिंग के लिए गया था, जहां उसे किसी ने जादव द्वारा बनाए गए जंगल के बारे में बताया। इस बात से पत्रकार बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ और वह 20 किलोमीटर का सफर तय करके ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे मौजूद जंगल तक पहुंच गया।

वहां पहुंच कर पत्रकार को आश्चर्य हुआ कि आखिर नदी के किनारे रेतीली जमीन पर हरा भरा जंगल कैसे खड़ा है और उसे एक इंसान ने किस तरह बनाया होगा, बस अपने इन्हीं सवालों का जवाब पाने के लिए पत्रकार ने जादव पायेंग से मुलाकात की और उनका एक इंटरव्यू ले लिया।

उस इंटरव्यू के बाद जादव पायेंग पूरे भारत में फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया के नाम से मशहूर हो गए थ, जिसके बाद उन्हें जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से साहस और प्रकृति के अनुकरणीय में योगदान के लिए पुरस्कार दिया गया था। इतना ही नहीं साल 2014 में जादव के ऊपर फॉरेस्ट मैन नामक डॉक्यूमेंट्री भी बनाई गई थी, जिसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार मिले थे।

आपको बता दें कि जादव पायेंग अपने जीवन में अब तक लगभग 4 करोड़ से भी ज्यादा पेड़ पौधे लगा चुके हैं, जिसकी वजह से साल 2015 में उन्हें पद्म श्री पुस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। इतना ही नहीं जादव को असम कृषि विश्वविद्यालय की तरफ से डॉक्टरेट यानि पीएचडी की उपाधि की दी गई है।

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मैक्सिको में पेड़ लगाने की योजना

जादव ने अपना जीवन प्रकृति, पेड़ पौधों और जंगल के बीच ही बिता दिया, जिसकी वजह से पर्यावरण संरक्षण में उनका अहम योगदान माना जाता है। जादव पायेंग ने रेतीली जमीन पर जंगल खड़ा करके हर किसी को चौंका दिया था, लिहाजा उन्हें मैक्सिको में 8 लाख हेक्टेयर की जमीन पर पेड़ लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

इस काम के लिए दिसंबर 2021 में मैक्सिको के राष्ट्रपति ने उन्हें पौधा रोपण के लिए आमंत्रण भेजा था, जिसे देखकर उन्हें बहुत ज्यादा खुशी और गर्व का एहसास हुआ था। इस पौधा रोपण कार्यक्रम में मैक्सिको के सैकड़ों बच्चे हिस्सा लेंगे, जो पेड़ लगाने के साथ साथ पर्यावरण को संरक्षित करने का हुनर भी सीखेंगे और आगे इसके ऊपर काम करेंगे।

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Shivani Bhandari
Shivani Bhandari
सपनों और हक़ीक़त को शब्दों से बयां करती है 'क़लम'!
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